Posts

Showing posts from August, 2011

यादें जे.एन.यू की

मुद्दतों बाद,  बिसरे पुराने इक दोस्त सेमुलाक़ात हुई. कुछ छलके जाम, कुछ जश्न हुए  कुछ गज़लें छलकीं, कुछ तैरे गीत कुछ खुश्क मदहोश हवाओं में फैली तरन्नुम दफ़तन. कुछ भूली-बिसरी कुरेदीं यादें कुछ जख्म भरे, कुछ हरे हुए कुछ गर्द उड़ी, भड़के शोले, सैलाब उठे कुछ दफ्न हुईं रुसवाईयाँ  कुछ लैलाओं औ' मजनुओं का ज़िक्र छिड़ा  फिर रांझा और हीर का चर्चा हुआ  ग़ालिब और मीर की नज्में फूटीं और चहक उठीं मधुशाला की रुबाईयाँ. ढाबे की मिल्क-टी और नीम्बू-पानी करात, मुखर्जी, और मलकानी जी. बी. एम. और मशाल जलूस एस. एफ. आई. और चीन और रूस  बर्लिन की दीवार और  Tiananmen  स्क्वायर बाबरी मस्जिद और मंडल की लहर. ऐ दोस्त! यूं ही बिछड़ के मिलते रहो खाबों में ही, आके रुसवा करो 'गर मिलो गले तो बहने दो आँखों की नमी को रहने दो दिन चार गुज़ारे थे संग में जो कहते थे, उनको कहने दो