माजी के पन्नों से
१. कोशिश एक ग़ज़ल की ****************************** यह दिल मेरा चाहत तेरी का दीवाना है ये सोच मत यह सच नहीं अफसाना है. दिल को तू मेरे देख न जाओ औरों पर तुमने अब तलक मुझको नहीं पहचाना है. है जकड़ा कई मजबूरियों में यह बेचारा दिल समझ लिया तुमने कि यह बेगाना है. जाओ जलाते शमाँ को तुम प्यार की निरंतर जलने को आएगा चला खींचा कि यह परवाना है. मदहोश हूँ पी के पड़ा मैं प्यार की माय को साकी है तू, प्याला है तू, और तू ही मयखाना है हूँ मैं तेरा, है मेरी तू, ये ऐलान ऐ खुदाया एक मैं हूँ और तू है, बाकी ये जालिम ज़माना है. बस ऐ जानेमन, तू कर यकीं मुझपर अपनी तो इस बेदाग वफाई को बस जताना है. २. फिलहाल बिना शीर्षक **************************** आ जाओ मेरी बांहों में ओ जानेमन तुम्हें अपनी प्रेयसी बनायेंगे सनम. घूमेंगे हसीन वादियों में बागों में, पहाड़ियों में चट्टानों पर नदी किनारे बैठ पक्षियों का मधुर संगीत सुनेंगे हम. सरताज होगा फूलों का करधनी होगी मूँगों का और तेरे लंहगे को पत्तियों से मेंहदी के काढ़ के सजायेंगे हम. स्वीकारों इन उपहारों को मत हँस टालो मन उद्गारों ...