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Showing posts from November, 2009

खुशियाँ - बिटिया रानी के लिए

ये छोटे-छोटे लम्हे ये बड़ी-बड़ी खुशियाँ. वो पहली बार तेरा करवट बदलना उठके सम्हलना चलना और गिरना उन प्यालियों के खनकने और टूटने की खुशियाँ. वो क्षण-भर को मुस्कुराना मेरी कानों को खींचना उन लम्बी रातों की कवायद फिर सोने की खुशियाँ. वो हाथी, घोड़े, और बुलबुल पकड़ना वो झूलों की पींगें और तारों को छूना उन बेतुके गानों पर नाचने की खुशियाँ. खुशियों की गठरी और खाबों की परियाँ बागों की तितली और फूलों की कलियाँ वो खिलखिलाहट, वो किलकारियाँ वो हँसना हँसाना तुमसे है रौशन मेरे खाबों की दुनियाँ.

दर्द

का से कहूं दरद मोरे दिल की दूर भयीं गलियाँ बाबुल की|| छूटे मीत कुदुम्ब अरु छूटे रिश्तों के बंधन भी टूटे छोटी पड़ी आँचल माई की का से कहूं दरद मोरे दिल की| उमड़-घुमड़ बदरा बरसाए बिजुरी से अम्बर भरी जाए न आई महक मालदा लंगड़े की का से कहूँ दरद मोरे दिल की| तीरथ व्रत त्यौहार सब छूटे चैता फगुआ औ' सावन के झूले चौखट देवालय की बनी परजन की का से कहूँ दरद मोरे दिल की| भैया-भगिनी दूर हुए अब सपने आँचल के चूर हुए अब फीकी पड़ी हुंकार पिता की का से कहूं दरद मोरे दिल की| अवतंस कुमार, २८ नवम्बर २००९