जो तनहा था, तनहा हूँ मैं
पर इसका मुझको गम नहीं।

जो साथी था, साथी हूँ मैं
पर कोई हमदम नहीं।

जो राही हूँ मंजिल है अपनी
हौसला कोई कम नहीं।

लम्हा-लम्हा कर गुजारें
आज हैं कल हम नहीं।

१२ जुलाई, २००९

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