अमरनाथ यात्रा

अमरनाथ यात्रा
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सावन का पहला-पहला ही दिन
काली अँधियारी रात में 
काले यमदूत समान बादल
आए उमड़-घुमड़ के
शंखनाद भी था, गर्जना भी
पूरा पहाड़ थर्रा उठा
बिजुरी सी भी चमकी
और घाटी में दूर-दूर तक फैल गयी
पर अबकी सावन में 
पानी की बूँदो के बदले
बारिश हुई बंदूक़ों के गोलियों की
राहत के बदले हताशा, अफ़रा-तफ़री
बम-भोले की गूँजों के बदले क्रंदन।
कईयों के घरों में चूल्हा नहीं जलेगा आज
कईयों के हाथों की मेंहदी उतर गयी
कलाइयों की चूड़ियाँ, पैरों का अलता भी
किसी को माँ नहीं मिलेगी अब
किसी को उसकी बीवी, बहू, और बेटी।
पर क़ाफ़िला कभी रुकता नहीं
यात्रा चिर-अनंत है
अंत के बाद पुनश्च
इस बात को बाबा भोलेनाथ से बेहतर
कौन जान या बता सकता है?
~अवतंस
July 11, 2017

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